शिक्षा का उद्देश्य मानव निर्माण है, इसी कारण माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम के साथ-साथ खेलकूद, संगीत एवं शारीरिक शिक्षा को पाठ्यक्रम में स्थान दिया गया है। शिक्षक ‘शिक्षा’ का केन्द्र बिन्दु होता है और इसी कारण ऐसे शिक्षकों का चयन किये जाने का प्रयास किया जाता है जो अपनी सारी शक्ति शिक्षार्थी को ज्ञान देने में लगा सके। इसके लिए शिक्षक के विषय ज्ञान, उसके शिक्षण कौशल व उसके चारित्रिक गुणों पर विशेष बल दिया जाता। मुझे यह व्यक्त करने में गर्व भी महसूस होता है कि हमारे शिक्षक धन, नाम, यश की अपेक्षा त्याग की भावना से ओत-प्रोत हैं।
शिक्षक के साथ-साथ हम शिष्य से भी अपेक्षा रखते हैं कि उसके हृदय में उच्च आदर्शों के लिए व्याकुलता होनी चाहिए, उसको गुरू में अटूट विश्वास होना चाहिए, उसमें स्वतन्त्र चिन्तन की शक्ति के साथ-साथ नम्र एवं विनयशील व कर्तव्य परायण होना चाहिए। इन गुणों के विकास के लिए विद्यालय भी निरन्तर प्रयत्नशील रहता है। इन सब बातों के साथ मेरा लक्ष्य बच्चों की शिक्षा हेतु विद्यालय में समुचित, सुरक्षित शिक्षा का वातावरण बनाये रखना मूल प्राथमिकता है।